Program Testing and debugging in c language in Hindi | full explain

हेलो दोस्तों !

आज की इस Program Testing and debugging in c language in Hindi पोस्ट में हम यह जानेंगे की program की testing और debugging क्या होती है और  कैसे की जाती है। तो दोस्तों अगर आप प्रोग्राम की टेस्टिंग और डिबगिंग को अच्छी तरह समझना चाहते है तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े। 

इस पोस्ट के मुख्य विषय निन्म है :-

  • testing क्या होती है ? what is testing?
  • debugging क्या होती है ? what is debugging?
  • testing और debugging में basic difference क्या है ?
  • testing और debugging क्यों की जाती है ?

1.testing क्या होती है :-

तो दोस्तों सबसे पहले हम यह जान लेते है कि program testing क्या होती है ?

program testing in c hindi


दोस्तों प्रोग्राम की कोडिंग पूरी हो जाने के बाद प्रोग्राम की testing की जाती है। टेस्टिंग स्टेज बहुत आवश्यक होती है। क्योंकि बिना टेस्टिंग के हमें यह पता नहीं चलता है की हमारे द्वारा बनाया गया सॉफ्टवेयर अच्छी तरह काम करता है या नहीं हम उस सॉफ्टवेयर को बिना टेस्टिंग के यूज़ में नहीं ला सकते है। 

प्रोग्राम की टेस्टिंग में हम प्रोग्राम को जाँचते है की वह हमारे द्वारा दिए गए कार्य को सही तरीके से कर रहा है या नहीं। हमने जिस कार्य के लिए सॉफ्टवेयर बनाया है वह सॉफ्टवेयर उस कार्य को अच्छी तरीके से कर रहा है या नहीं। सॉफ्टवेयर कार्य कर रहा है या नहीं इससे जरूरी यह होता की सॉफ्टवेयर कार्य को अच्छी तरीके से कर रहा है या नहीं। 

किसी भी प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग  करना बहुत जरुरी होता है। इसलिए प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर को इस तरीके से टेस्ट किया जाता है ताकि उस प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर की पूरी क्षमता को देखा जा सके की हमारा प्रोग्राम हमारे द्वारा दिए गए कार्य को पूरी क्षमता से करता है या नहीं। 

अगर कम शब्दों में कहा जाये तो टेस्टिंग प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर को चेक करना है की सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम सही तरीके से कार्य कर रहा है या नहीं। जिस काम के लिए हमने उस प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर को बनाया है। अगर हमारा प्रोग्राम सही तरीके से कार्य करता है तो उसे फिर यूज़ में लिया जाता है। 

2.debugging क्या होती है :-

तो दोस्तों अब हम यह जान लेते है की program debugging क्या होती है ?

program testing and debugging in c hindi


दोस्तों प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर की डिबगिंग करना भी बहुत जरुरी होता है क्योकि बिना डिबगिंग के प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर में काफी सारी एरर होती है जो प्रोग्राम को सही तरीके से कार्य नहीं करने देती है। इसलिए हमें प्रोग्राम की टेस्टिंग करने से पहले ही डिबगिंग की जाती है। ताकि सारी errors को दूर किया जा सके। 

प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर की डिबगिंग करने का मतलब होता है की उस प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर की सारी errors को ढूढ़ना और उन्हें पूरी तरह से दूर करना। काफी सारी एरर ऐसी होती है जो आसानी से नहीं मिलती है क्योंकि उन एरर को न कम्पाइलर और न ही इंटेलिसेंस ढूंढ पता है। 

ऐसी एरर को हमें हमेशा ही डिबगिंग के समय ढूंढ लेना चाहिए। नहीं तो हमारा प्रोग्राम अजीब तरीके से कार्य करने लगता है। डिबगिंग के समय हम प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर की ऐसी सारी कमियों को दूर करने का प्रयास करते है जो प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर के कार्य को प्रभावित करती है। 

अगर हम कम शब्दों में डिबगिंग को कहे तो यह प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर में उपस्थित बग या कमी को दूर करने को  कहते है। जब हमारा प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर काफी बड़ा होता है तोउस  प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर को पूरी तरह से बग रहित करना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए इन बग को ढूढ़ने और ख़त्म करने का काम बग प्रोफेशनल को दिया जाता है। 

3.testing और debugging में basic difference क्या है :-

तो दोस्तों अब हम testing और debugging में basic difference को देख लेते है।

दोस्तों टेस्टिंग और डिबगिंग में बेसिक अंतर (difference) यह होता है की टेस्टिंग इसलिए की जाती है ताकि यह पता चल सके की हमारा प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर सही तरीके से कार्य कर रहा है या नहीं। जबकि प्रोग्राम की डिबगिंग इसलिए की जाती है ताकि प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर में उपस्थित बग या कमी को ढूंढा और ख़त्म किया जा सके। 

दोस्तों वैसे तो टेस्टिंग और डिबगिंग में और भी काफी सारे अंतर होते है। लेकिन हमने बेसिक अंतर बता दिया है जोकि जानना जरुरी होता है। क्योकि काफी सारे लोग टेस्टिंग और डिबगिंग को एक ही समझते है। टेस्टिंग और डिबगिंग बिल्कुल अलग-अलग चीज़े होती है। 

लेकिन दोनों का काम प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर को बेहतर और efficient बनाने का होता है। दोनों ही अपने-अपने तरीके से प्रोग्राम को बेहतर करने का प्रयास करती है। ताकि प्रोग्राम की कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सके। इन दोनों ही का अपना-अपना महत्त्व होता है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता किसी एक की जरुरत नहीं है। 

4.testing और debugging क्यों की जाती है :-

तो दोस्तों अब हम यह जान लेते है की प्रोग्राम की testing और debugging क्यों की जाती है ?

दोस्तों अभी तक हमने टेस्टिंग और डिबगिंग के बारे में इतनी बात की है तो आप शायद जान चुके होंगे की इनका क्यों यूज़ किया जाता है। लेकिन हम इसके बारे में और जान लेते है की इनका यूज़ क्यों किया जाता है। जैसा की अपने ऊपर पढ़ा होगा की प्रोग्राम की टेस्टिंग यह चेक करने के लिए की जाती है की हमारा प्रोग्राम सही तरीके से कार्य कर रहा है या नहीं। 

अब आप यह सोचिये की क्या होगा अगर हम प्रोग्राम को बिना टेस्ट किये उसका यूज़ करते है। शायद आप सही सोच रहे होंगे की हमारे प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर की कोई गारंटी नहीं होती है की वह कब तक काम करता है और कैसा काम करता है सही तरीके से काम करता है या नहीं। इसलिए हमें उस प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर को यूज़ करने से पहले उसकी टेस्टिंग की जाती है। 

ऐसी ही स्थिति डिबगिंग के केस में भी होता है। क्योकि जब हमारा प्रोग्राम नया-नया बनता है तो उसमे काफी सारी एरर और कमियां होती है जो प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर को सही तरीके से कार्य नहीं करने देती है। जिससे बिना डिबगिंग के यह नहीं कहा जा सकता है की हमारा प्रोग्राम एकदम सही तरीके से कार्य करेगा या नहीं। इसलिए हमें प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर की डिबगिंग करनी पड़ती है। 

तो दोस्तों अब हमें लगता है कीआप समझ गए होंगे की किसी प्रोग्राम को यूज़ करने से पहले उसकी  टेस्टिंग और डिबगिंग क्यों की जाती है। 

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Author :- तो दोस्तों अब हमारी यह Program Testing and debugging in c language in Hindi पोस्ट ख़त्म होती है। हम आशा करते है की हमारी यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आई होगी। और आप अच्छी तरह समझ गए होंगे की testing और debugging क्या होती है। तो दोस्तों पोस्ट को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद ! मिलते है किसी और पोस्ट में तब तक के लिए अलविदा !

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